नई दिल्ली. देश की राजधानी दिल्ली में हर दिन 20 बच्चे गुम होते हैं. गुम होने वाले बच्चों की उम्र ज्यादातर 10 से 16 साल के बीच होती है. सबसे ज्यादा बच्चे संगम विहार, प्रेम नगर, किराड़ी, नजफगढ़ समेत बाहरी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली से होते हैं. इस बात का खुलासा आज यहां महिला प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में गैर सरकारी संस्था ‘नव सृष्टि’ संस्था की सचिव रीना बनर्जी और सुषमा ने की.
रीना बनर्जी ने बताया कि देश की राजधानी दिल्ली में मानव तस्कर (Human Trafficking) इस कदर सक्रिय हैं कि औसतन हर दिन यहां से 20 बच्चे गायब हो रहे हैं. गायब होने वाले अधिकतर बच्चे गरीब परिवार से है और उनके माता-पिता प्रवासी मजदूर (Migrant Laborers) हैं. बच्चों के गायब होने का पता चलने के बाद माता-पिता और परिवार के लोग पहले तो 2-3 दिन तक खुद से अपने बच्चे की तलाश करते हैं, जब नहीं मिलते हैं, तब वह पुलिस (Delhi Police) के पास जाते हैं तब तक बच्चा बहुत दूर जा चुका होता है.
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इसलिए पीड़ित को तुरंत पुलिस से संपर्क करना चाहिए. इससे बच्चों के मिलने की संभावना बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि गुमशुदा बच्चों को तलाशने के लिए सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि दूरदर्शन के अलावा अन्य सभी चैनल गुमशुदा बच्चों की तस्वीरों को दिखाएं. इससे चोरी करने वाले गिरोह को पकड़ने और बच्चों को ढूंढने में मदद मिलेगी.
सुषमा शर्मा ने बताया कि गुम होने वाले अधिकतर बच्चों की उम्र 10 से 16 साल के बीच होती है जिनमें 11 साल के बच्चों का इस्तेमाल अंग तस्करी के लिए होता है तो लड़कियों का वेश्यावृत्ति के लिए. जबकि बहुत छोटे बच्चे माता-पिता की लापरवाही की वजह से गुम होते हैं. उन्होंने बताया कि दिल्ली पुलिस भी गुमशुदा बच्चों के डाटा को अपडेट नही करती है, इसकी वजह से भी कई बार गुम होने वाले बच्चों का आंकड़ा गड़बड़ा जाता है.
उन्होंने बताया कि बच्चों को मानव तस्करों से बचाने के लिए उन्हें समूह में जागरूक किया जा रहा है और उनके परिजनों को भी. इससे हम उम्मीद करते हैं कि कुछ बदलाव आएगा. निर्मल कौर नेब सराय इलाके की एक घटना का भी जिक्र किया जहां स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियों को परेशान किया जा रहा है.
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